आधी अधूरी व्यवस्थाओं के साथ ऐतिहासिक नुमाईश का होगा उद्घाटन
अलीगढ़। ताला और तालीम के अलावा अलीगढ़ की नुमाईश भी अपने आप में काफी मशहूर है। आपको बता दें कि ऐतिहासिक रूप में अलीगढ़ नुमाईश का कई दशकों से दबदबा बना हुआ था। लेकिन जब से इस नुमाईश भ्रष्टाचार की जड़े फैल गई तब से प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर कर्मचारी और संबन्धित लोग अपनी रोटियां सेकने में जुट गये। इतना ही नहीं मनमाने तरीके से कार्यक्रम और दुकानों का आवंटन भी शुरू हो गया। खेल यहां तक भी नहीं रूकता नुमाईश में होने वाले कार्यक्रमों का भी अलग खेल है। कार्यक्रम संयोजक के रूप में एक व्यक्ति को एक से अधिक कार्यक्रम दे दिये जाते हैं और बजट का बन्दर बांट भी उसी हिसाब से किया जाता है। अलीगढ़ नुमाईश का 01 फरवरी 2024 को उद्घाटन होना तय है लेकिन व्यवस्थओं के नाम पर अभी तक कुछ भी नहीं है। आधी अधूरी नुमाईश का कार्यक्रम तैयार करके जिला प्रशासन ने दुकानदारों के सिर पर ठीकरा फोड़ दिया है। अब चाहे फायदा हो या नुकसान उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अलीगढ़ नुमाईश में धीरे-धीरे लोगों का आगमन कम होता जा रहा है। क्योंकि मंहगाई के चलते ठेकेदार दुकानों का आवंटन अत्याधिक मूल्यों पर करते हैं। इसके साथ ही लोगों को पैर रखने की जगह भी ठेकेदरों द्वारा फुटकर दुकानदारों को दे दी जाती है। जिससे अव्यवस्थाऐं और बढ़ जाती हैं जिला प्रशासन देखकर भी अनदेखी करता है क्योंकि उन्हें इस तरह की अव्यवस्था का भी पैसा मिलता है।
नुमाईश में धार्मिक आस्था का रहेगा बोलवाला
अलीगढ़ नुमाईश में केदारनाथ मन्दिर, वैष्णोदेवी मन्दिर के अलावा श्रीराम दरबार भी बनाया गया है। जिससे लोगों की आस्था भक्ति मय हो जायेगी। इतना ही नहीं मन्दिर को भव्यता प्रदान करने के लिए इस साक्षात रूप भी दिया गया है। जिससे भक्तों के ऐसा लगे कि वह केदारनाथ या माता वैष्णोदेवी के दर्शन करने आये हैं।
नुमाईश प्रभारी रहते हैं लापता नहीं उठाते फोन
अलीगढ़ नुमाईश प्रभारी एवं अपर जिलाधिकारी नगर को लोग अपनी समस्याऐं बताने के लिए फोन करते रहते हैं लेकिन उन्हें फोन उठाने तक की फुर्सत नहीं है। जितने दिनों अलीगढ़ नुमाईश में दुकानदारों और सामाजिक या राजनैतिक लोगों का कोई काम होगा तो उन्हें नुमाईश प्रभारी महोदय से किसी प्रकार की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर फोन करते रह जाओगे लेकिन जबाव नहीं मिलेगा।