श्री रामकथा कलियुग में भवसागर पार करने वाला जलयान है : अवधेश दास
अलीगढ़। श्री रामकथा कलियुग में भवसागर को पार करने वाला जलयान है, जिसने भी राम का नाम लिया उसका कल्याण सुनिश्चित है। यह उद्गार निर्मोही अखाड़ा चित्रकूट धाम के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेश दास जी महाराज ने श्री अखलेश्वर महादेव मंदिर रघुवीरपुरी में 9 दिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि माघ मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही प्रयागराज में दुनिया भर के साधु-संत कल्पवास के लिए पहुंचते हैं और धर्म पर चर्चा करके जन सामान्य के कल्याण का उपक्रम करते हैं। इसी तरह हरिगढ़ में माघ मास में 15 दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान क्षेत्र के लिए कल्याणकारी होंगे।
उन्होंने सती यज्ञ विध्वंस की कथा सुनाते हुए कहा कि पूरी दुनिया में भारत देश ही ऐसा है, जहां मातृशक्ति की पूजा होती है। उन्हें धन विद्या और रक्षा की अधिष्ठात्री माना गया है। उन्होंने कहा कि माता सती बिना पति की आज्ञा के अपने पिता के घर पहुंची उन्हें अपमान का सामना करना पड़ा। उन्हें अपमानवश अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़ी। उन्होंने हिमालय के घर माता पार्वती के प्रादुर्भाव की कथा सुनाते हुए कहा कि पार्वती की मां मैना अभिमान की प्रतीक है। उन्होंने रामचरितमानस महात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि रामकथा समाज में समन्वय करना सिखाती है, भाई-भाई के बीच, पिता-पुत्र, मां-पुत्र के बीच तथा राजा और प्रजा के बीच कैसे संबंध मधुर हो, यह श्री रामचरित से सीख सकते हैं। आज की कथा के मुख्य यजमान देश दीपक एवं उनकी सत्नी सरोज वर्मा थे।
कार्यक्रम में श्री अखलेश्वर महादेव मन्दिर समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष सतीश गौड़, सचिव मनोज अग्रवाल, कोषाध्यक्ष बृजमोहन वार्ष्णेय, उपाध्यक्ष सतेन्द्र प्रकाश गुप्ता, उपसचिव प्रवीण वार्ष्णेय (गायत्री), मीडिया प्रभारी नवीन शर्मा व सदस्य मुकेश सिंघल (रामांचल), ज्ञानेन्द्र गुप्ता, आनन्द स्वरूप गोयल, विनोद गुप्ता, प्रवीन अग्रवाल, सुभाष गौतम का विशेष सहयोग रहा। व्यवस्था में गौरी, अनुपम गुप्ता, पुष्पा गौड़, मीनू मित्तल, प्रिया, भूमि, राजवती, प्रेरणा वार्ष्णेय, मोनिका दिवाकर, महादेवी, नीतू वार्ष्णेय, मेघा सारस्वत, सपना सारस्वत आदि ने योगदान दिया।