सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे को लगाई फटकार,विधायकों की अयोग्यता पर फैसले में देरी क्यों?

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई अन्य विधायकों के विरुद्ध लंबित उद्धव ठाकरे गुट की अयोग्यता याचिकाओं को निपटाने में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा देरी किए जाने पर नाराजगी जताई। कहा कि किसी को विधानसभा अध्यक्ष को यह सलाह देनी होगी कि शीर्ष अदालत के आदेश को वह परास्त नहीं कर सकते। अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा, अन्यथा पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी। कोर्ट ने विस अध्यक्ष को सुनवाई का कार्यक्रम और टाइमलाइन तय करके बताने का निर्देश दिया। कहा कि अगर कोर्ट स्पीकर द्वारा तय की गई टाइमलाइन से संतुष्ट नहीं होगा, तो वह दो महीने के भीतर फैसला करने का निर्देश दे सकता है। ये टिप्पणियां प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को कीं। उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया जाए कि वह लंबित अयोग्यता याचिकाओं का निपटारा करें।

उद्धव गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर ने याचिकाओं पर सुनवाई का एक साल लंबा टाइम शिड्यूल तय किया है। सिब्बल ने कहा, यह कोई सिविल कोर्ट नहीं है, जिसमें इस तरह साक्ष्य आदि की लंबी प्रक्रिया अपनाई जाए। कोर्ट स्पीकर को जल्दी सुनवाई कर याचिकाएं निपटाने का निर्देश दे। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। पीठ ने कहा कि पिछली बार यह सोच कर उनसे टाइम शिड्यूल मांगा गया था कि कुछ समझदारी दिखाएंगे और सुनवाई में अनिश्चित देरी नहीं करेंगे। उन्हें यह दर्शाना चाहिए कि वह मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। 10वीं अनुसूची के तहत स्पीकर एक ट्रिब्यूनल की तरह काम करते हैं। सालिसटर जनरल ने कहा कि कोर्ट को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यहां एक संवैधानिक संस्था के बारे में बात हो रही है।

क्या उनसे रोजाना का हिसाब लिया जा सकता है? पीठ ने कहा कि ट्रिब्यूनल की तरह काम करने से वह कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आते हैं। सीजेआइ ने कहा कि उन्होंने इस मामले में 14 जुलाई को नोटिस जारी किया था। उसके बाद सितंबर में आदेश दिया। फिर शिड्यूल तैयार करके देने को कहा लेकिन हम देख रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ। कोर्ट उन्हें दो महीने में निर्णय करने का निर्देश देने की सोच रहा है। शिंदे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को स्पीकर को ऐसा कोई आदेश देने का विरोध किया। कोर्ट ने स्पीकर से निर्देश लेकर बताने का समय देते हुए मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी। इसके अलावा राकांपा में शरद पवार गुट की अजीत पवार गुट के खिलाफ दाखिल अयोग्यता याचिकाओं पर जल्दी सुनवाई की मांग के मामले की सुनवाई भी मंगलवार तक के लिए टल गई।

महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि मैं चुनाव की दृष्टि से निर्णय नहीं दूंगा। जो भी निर्णय करूंगा, वह विधानमंडल के नियमानुसार करूंगा। जल्दबाजी में निर्णय देने के लिए विधानमंडल के नियमों में उलटफेर नहीं कर सकता। मैं संविधान के नियमानुसार निर्णय दूंगा।

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