अहंकारी व्यक्ति सदैव हारता है महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती

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Bhagwat katha

अलीगढ़। महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती के सानिध्य में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद जी महाराज ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया । महाराज श्री ने कहा धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे वही आज के समय में धनवान व्यक्ति है। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया। माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है उसके बाद पंचगव्य गाय के गोब, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा हो जाती है। भगवान व्रजरज का सेवन करके यह दिखला रहे हैं कि जिन भक्तों ने मुझे अपनी सारी भावनाएं व कर्म समर्पित कर रखें हैं वे मेरे कितने प्रिय हैं। भगवान स्वयं अपने भक्तों की चरणरज मुख के द्वारा हृदय में धारण करते हैं। पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। गोपबालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी–’मां तेरे लाला ने माटी खाई है यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। ‘अच्छा खोल मुख।’ माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश, दिशाएं, पहाड़, द्वीप, समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी, बहने वाली वायु, वैद्युत, अग्नि, चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्णज्योतिर्मण्डल, जल, तेज अर्थात प्रकृति, महतत्त्व, अहंकार, देवगण, इन्द्रियां, मन, बुद्धि, त्रिगुण, जीव, काल, कर्म, प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दीखने लगे। पूरा त्रिभुवन है, उसमें जम्बूद्वीप है, उसमें भारतवर्ष है, और उसमें यहब्रज, ब्रज में नन्दबाबा का घर, घर में भी यशोदा और वह भी श्री कृष्ण का हाथ पकड़े। बड़ा विस्मय हुआ माता को। श्री कृष्ण ने देखा कि मैया ने तो मेरा असली तत्त्व ही पहचान लिया है। श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया को यह ज्ञान बना रहता है तो हो चुकी बाललीला, फिर तो वह मेरी नारायण के रूप में पूजा करेगी। न तो अपनी गोद में बैठायेगी, न दूध पिलायेगी और न मारेगी। जिस उद्देश्य के लिए मैं बालक बना वह तो पूरा होगा ही नहीं। यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं। महाराज ने कहा कि भगवान कृष्ण के कहने पर ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोडकर गिर्राज जी की पूजा शुरू कर दी तो इंद्र ने कुपित होकर ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश की, तब कृष्ण भगवान ने गिर्राज को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया। तब इंद्र को भगवान की सत्ता का अहसास हुआ और इंद्र ने भगवान से क्षमा मांगी । आज की कथा के परीक्षित गोपी मिल उज्जवल वार्ष्णेय गोपीमिल निवासी रहे। भक्तों ने छप्पन भोग भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर सैकड़ों श्रोता मंत्रमुग्ध होकर कथा सुनते रहे। अनिल अग्रवाल, प्रमोद शर्मा,अशोक कुमार पाण्डेय, शुभम अग्रवाल, मनोज सैनी, कृष्णा गुप्ता, अनिल वर्मा, जयवीर शर्मा सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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