संघ के पूर्व प्रचारकों की पार्टी बनी भाजपा के लिए मुसीबत

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भोपाल (एजेंसी)। हिन्दुत्व और सनातन के मुद्दे पर लगातार कांग्रेस पर हमलवार भारतीय जनता पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रचारकों की जनहित पार्टी बड़ी मुसीबत बन सकती है। क्योंकि, मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में संघ के पूर्व प्रचारकों की जनहित पार्टी ने चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। विधानसभा चुनाव में जनहित पार्टी ने इंदौर विधानसभा क्रमांक-एक में भाजपा द्वारा प्रत्याशी बनाए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गी की घेराबंदी करने के साथ प्रदेश की 25 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर ली है। जनहित पार्टी के संस्थापक एवं संघ के पूर्व विभाग प्रचारक अभय जैन ने एक्सप्रेस न्यूज को बताया कि जनहित पार्टी द्वारा संभावित प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए गए हैं। श्री जैन का कहना है कि यदि पार्टी ने सहमति दी, तो वे स्वयं इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-एक में भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय के प्रतिद्वंदी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरेंगे। इसके अलावा पार्टी ने फिलहाल प्रदेश की चुनिंदा 25 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की रणनीति बनाई है। जिसके लिए संभावित प्रत्याशियों का चयन कर लिया गया है। संभवत: अगले हफ्ते जनहित पार्टी के प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया जाएगी।

-230 सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी

पूर्व प्रचारक अभय जैन ने बताया कि उनकी पार्टी 230 सीट पर विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं। यदि बेहतर दावेदार मिलेंगे तो हम हर सीट पर उन्हें चुनाव लड़ेें। फिलहाल जनहित पार्टी के प्रदेश 13 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी तय हो चुके हैं। जल्द ही हम 25 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लेंगे। अगले हफ्ते तक जनहित पार्टी के अधिकांश प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी।

-इन जिलों में प्रत्याशी तय किए

जनहित पार्टी के संस्थापक एवं संघ के पूर्व प्रचारक अभय जैन के अनुसार प्रदेश के 25 जिलों में पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इनमें प्रमुख रूप से भिंड, दतिया, ग्वालियर, सागर, सतना, खंडवा, होशंगाबाद, इंदौर, शाजापुर, आगर, धार, झाबुआ और भोपाल शहर में प्रत्याशियों के नाम लगभग तय हो चुके हैं।

-हिंदुत्व और मप्र का विकास होगा मुद्दा

संघ के पूर्व प्रचारक अभय जैन का कहना है कि विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व और मध्यप्रदेश का विकास के मुद्दे पर मैदान में उतरेगी। हालांकि भाजपा भी हिंदुत्व, सनातन और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। वे कहते हैं वे पार्टी संघ के सिद्धांतों पर पूर्ण सहमति रखते हंै। उसी अनुशासन का पालन भी करते हैं। लेकिन भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे पर सजग और अडिग नहीं होने से उन्हें और उनसे तमाम पूर्व प्रचारकों को राजनीति का रूख करना पड़ रहा है।

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