अतिथि व संतों की सेवा ही सनातन धर्म की सार्थकता
अलीगढ़/खैर। स्थानीय देव मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास श्री विष्णु रामानुजाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा सभी वेदों का सार है. इसे सुनने से मनुष्य तृप्त होता है और जन्म जन्मांतर के पाप से मुक्त हो जाता है। साथ ही कथा सुनने या किसी भी शुभ काम को करवाने या करने के पीछे का उद्देश्य परम लक्ष्य की प्राप्ति ही होता है उन्होंने कहा कि आत्मा के रूप में हर जाति धर्म के अंदर परमात्मा एक ही है। जैसे शक्कर के बिना कोई मिठाई नहीं हो सकती। वैसे ही एक ही आत्मा सब रूप रंग में है। अशांति व विवाद के ज्वाला को शांत करने के लिए श्रीमद भागवत कथा अमृत वर्षा है। कथा व्यास ने कथा को सुनने के नियम की जानकारी देते हुए बताया कि आप भी कथा करा सकते हो अगर ऐसा संभव न हो तो जहां पर कथा हो रही हो वहां पर पहुंचें और अपने पूर्वजों को याद कर श्रवण करें। उसका फल पितरों को प्राप्त होता है। व्रत का पालन करें दिन में एक बार आहार ग्रहण करें और ब्रम्हचर्य का पालन करें। उन्होंने कहा हमें अपनी संपत्ति और आय का कुछ भाग दान अवश्य करना चाहिए। यह प्रत्येक मानव का कर्तव्य है। समाज सेवा, दीन दुखियों की सेवा, अतिथि सेवा एवं संतों की सेवा ही हमारे तन और धन को सार्थकता है। इससे पूर्व कथा के आयोजकों ने व्यास पीठ की आरती उतारी। इस मौके पर अनेकों महिला पुरूष मौजूद रहे।